"ताटंक छंद"
हैं आतंकी कीड़े देखो, रोज रात को निकल रहे,
टुकड़े टुकड़े कर के देखो, कैसे सबको निगल रहे,
दहशतगर्दी फैल रही है, भारत माँ के सीने पर,
खुलेआम हैं दस्तक देते, "थू" है अब तो जीने पर।
संसद देखो अब भी कैसे, चुपके चुपके रोती है,
मुंबई वाली जनता आज, सहमे सहमे सोती है,
कब तक सीना छलनी होगा, आज बता दो मोदी जी,
भारत माता पूछ रही है, बेबस होकर मोदी जी।
आदेश करो अब सेना को, ढूंढ़ ढूंढ़ कर वार करे,
अफजल दाउद आतंकों का, अब समूल संहार करे,
घर में घुसकर खंजर मारो, आतंकी सरदारों को
और टाँग दो सूली पर फिर, इनके पहरेदारों को।
छप्पन इंची सीना लेकर, रहे घूम क्यों मोदी जी,
आर पार का युद्ध लड़ो अब, बातें छोड़ो मोदी जो,
इधर गरीबी मँहगाई भी, डायन बन कर आई है,
अच्छे दिन आयेंगे कहकर, खोदी गहरी खाई है।
देख बजट का हाल आज फिर, आम आदमी रोता है,
खादी वाला नेता देखो, नींद चैन की सोता है,
रो रहा हूँ खून के आँसू, कैसी सत्ता पाई है ,
भगवन तेरे भारत में ये, कैसी विपदा आई है..???
पंकज शर्मा "परिंदा"
खैर ( अलीगढ़ )
09927788180
हैं आतंकी कीड़े देखो, रोज रात को निकल रहे,
टुकड़े टुकड़े कर के देखो, कैसे सबको निगल रहे,
दहशतगर्दी फैल रही है, भारत माँ के सीने पर,
खुलेआम हैं दस्तक देते, "थू" है अब तो जीने पर।
संसद देखो अब भी कैसे, चुपके चुपके रोती है,
मुंबई वाली जनता आज, सहमे सहमे सोती है,
कब तक सीना छलनी होगा, आज बता दो मोदी जी,
भारत माता पूछ रही है, बेबस होकर मोदी जी।
आदेश करो अब सेना को, ढूंढ़ ढूंढ़ कर वार करे,
अफजल दाउद आतंकों का, अब समूल संहार करे,
घर में घुसकर खंजर मारो, आतंकी सरदारों को
और टाँग दो सूली पर फिर, इनके पहरेदारों को।
छप्पन इंची सीना लेकर, रहे घूम क्यों मोदी जी,
आर पार का युद्ध लड़ो अब, बातें छोड़ो मोदी जो,
इधर गरीबी मँहगाई भी, डायन बन कर आई है,
अच्छे दिन आयेंगे कहकर, खोदी गहरी खाई है।
देख बजट का हाल आज फिर, आम आदमी रोता है,
खादी वाला नेता देखो, नींद चैन की सोता है,
रो रहा हूँ खून के आँसू, कैसी सत्ता पाई है ,
भगवन तेरे भारत में ये, कैसी विपदा आई है..???
पंकज शर्मा "परिंदा"
खैर ( अलीगढ़ )
09927788180
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