रविवार, 13 मार्च 2016

**** प्यार की लक्ष्मण रेखा ****

प्यार की लक्ष्मण रेखा
लाँघते समय
तुम नहीं जानते
कि नतीज़न
एक फूल खिलेगा
जिसके स्वप्नों को
उसकी
इच्छा के विरुद्ध
तुम दोगे मसल


एक अजन्मे पुष्प की
विस्मित आँखों में
देखोगे तुम
सैंकड़ों प्रश्न चिह्न एकसाथ


या फिर एक नन्ही कली
हाथ बांधे खड़ी होगी
सम्मुख आपके
खिलने की आशा लिए
अपनी प्रार्थना के उत्तर में


सभी सीमाओं व बंधों को
तोड़ते हुए
तुम नहीं जानते
कि तुम
अपने ही रक्त को कुचलने
की तैयारी में जुटे हो.......!!


पंकज शर्मा "परिंदा"
खैर ( अलीगढ़  )
09927788180

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