रविवार, 13 मार्च 2016

कुण्डलियाँ छंद

१-
लेकर कलम दवात अरु, संग साँच कौ
साथ।
लिखूँ कुण्डली छंद अब, रखो आप
सर हाथ।।
रखो आप सर हाथ, नयी नित कविता
लाऊँ।
दे दो सुर अरु साज, गीत सँग मिलकर
गाऊँ।।
पंकज हो अब खास, फूल चरनन में
देकर।
करो प्रेम बौछार, सँग शारदे का लेकर।।


२-
खून पसीना सींचकर, रहा अन्न
उपजाय
पोषण सबका कर रहा, रूखा
सूखा खाय
रूखा सूखा खाय, कि पीता
नयनम नीरम
नेता माल उड़ाय, रखें अब कब
तक धीरम
कहे भारती पुत्र, करो मत दूभर
जीना
जाओगे यमलोक, न चूसो खून
पसीना।।

पंकज शर्मा  "परिंदा"
खैर  ( अलीगढ़  )
९९२७७८८१८०

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