मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

काम तुम बेहिसाब कर दो ना,,,!

******** ग़ज़ल ********
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काम तुम बेहिसाब....., कर दो ना
छूके मुझको गुलाब.., कर दो ना।
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ग़र मुहब्बत है इक बुरी..., आदत
मेरी आदत खराब...., कर दो ना।
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आरज़ू इक........, यही है बस मेरी
रुख़ जरा बेनक़ाब...., कर दो ना।
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धड़कनों के सवाल........., इतने हैं
इक मुकम्मल जवाब कर दो ना।
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रोशनी से चराग़............., यूँ बोला
सामने आफ़ताब कर......, दो ना।
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थक चुका हूँ.. मैं उलझनों से अब
एक सुलझी किताब.. कर दो ना।
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है गुज़ारिश ऐ.. ज़िन्दगी...., तुझसे
अब तो मेरा हिसाब.. कर दो ना।
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*|| पंकज शर्मा "परिंदा" ||*

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