रविवार, 12 जुलाई 2015

ईश्वरीय हिंदी....

किसी ने देखा नहीं
ईश्वर को
सुना ही था कि
काव्य और साहित्य में ही
ईश्वर मिलते हैं
रसखान की सरोज सप्तक
सूर की
साहित्य लहरी
मीरा के पद संकलन
और आज
हिंदी के इस
उनमुक्त परिदृश्य को देख
पहली बार
ऐसा लग रहा है
कि
कहने वाले
सच ही कहते हैं।


"पंकज शर्मा"

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